लेखनी कहानी -29-Dec-2021
चेहरे है तुम्हारे हजार
कहां छुपे हो मेरे यार?१
देखते रह गए शहरों में
डूबे हो कहीं नहरों में२
पानी की बौछार है
तुम्हारे रूप कई प्रकार है३
कभी पर्दों में रहते हो
कभी साधु बन रहते हो४
मग्न हो तुम दुनिया में
नग्न हो तुम नदिया में५
पर्वत पर तुम कब गए?
तपवी हो गए तुम६
धरती है स्वर्ग हमारा
पर्वत नहीं है घर तुम्हारा।।
अभिजीत रंजन